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I.N.D.I.A का संयोजक बनने से नीतीश कुमार का इनकार:गठबंधन की वर्चुअल बैठक में 9 पार्टियों के नेता शामिल हुए, ममता-उद्धव नहीं आए

 

 

I.N.D.I.A. ब्लॉक की ऑनलाइन बैठक में 9 पार्टियों नेता जुड़े। ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे शामिल नहीं हुए।

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की आज यानी 13 जनवरी को वर्चुअल बैठक हुई। मीटिंग करीब दो घंटे चली। इसमें सीटों के बंटवारे और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। बैठक का मकसद गठबंधन में संवादहीनता की कमी नहीं होने देना है।

मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, लालू यादव और तेजस्वी यादव (आरजेडी), बिहार के सीएम नीतीश कुमार (जेडीयू), दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (आप), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), सीताराम येचुरी (सीपीआई-एम), डी राजा (सीपीआई), शरद पवार (एनसीपी-शरद पवार) और डीएमके की तरफ से तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन शामिल हुए।

तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी, शिवसेना (UBT) के उद्धव ठाकरे शामिल नहीं हुए। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ममता ने पहले से ही कांग्रेस से दूरी बना रखी है। वह कांग्रेस को बंगाल में 2 सीटें देने पर अड़ी हैं। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की मांग को लेकर भी ममता खुश नहीं हैं।

बिहार के मंत्री संजय झा ने बताया कि मीटिंग के दौरान नीतीश कुमार को संयोजक बनने का प्रस्ताव आया। इसकी नीतीश ने सहमति नहीं दी। नीतीश का शुरू से कहना रहा है कि कांग्रेस को ही चेयरपर्सन बनना चाहिए।

 

I.N.D.I.A. ब्लॉक की वर्चुअल हुई बैठक में शरद पवार और राहुल गांधी।

TMC ने कहा- बैठक की जानकारी देर से मिली
तृणमूल सूत्रों ने कहा कि उन्हें बैठक की जानकारी काफी देर से मिली और ममता के कार्यक्रम पहले से तय थे। इसलिए वह बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ये बैठक कुछ दिन पहले होनी थी, लेकिन किसी वजह से ऐन मौके पर रद्द हो गई थी।

ये पहला मौका नहीं है, जब ममता बनर्जी ने बैठक में आने से इनकार किया है। दिसंबर 2023 में भी ममता गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुई थीं। तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने बैठक की जानकारी दो दिन पहले दी। ऐसे में मैं पहले से तय अपने कार्यक्रम रद्द नहीं कर सकतीं।

स्थिति को देखकर लग रहा है कि BJP से टक्कर लेने के लिए बने I.N.D.I.A के 28 दलों के बीच सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। गठबंधन में शामिल कई पार्टियों के नेता ऐसे बयान दे चुके हैं, जिससे साफ है कि वे पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों में सीटों के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे।

ममता ने कहा- बंगाल में TMC की BJP से सीधी टक्कर

 

ममता बनर्जी ने 28 दिसंबर को राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। उत्तर 24 परगना में एक रैली के दौरान ममता ने कहा कि हमें BJP को सबक सिखाना है, किसी अन्य पार्टी को नहीं। बंगाल में TMC की सीधी टक्कर BJP से है। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सभी पार्टियों से खुले मन से बात की जाएगी।

संजय राउत ने कहा- शिवसेना (UBT) महाराष्ट्र की बड़ी पार्टी

 

उधर, शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने 29 दिसंबर को महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर कोई समझौता न करने के संकेत दिए थे। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा चुनाव में दादरा और नगर हवेली सहित 23 सीटों पर शिवसेना लड़ती रही है और वह मजबूती से लड़ेगी।

केजरीवाल ने पंजाब की सभी 13 सीटें मांगीं

 

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल 17 दिसंबर को बठिंडा में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे। पंजाब के CM भगवंत मान भी वहां मौजूद थे। जनसभा के दौरान केजरीवाल ने लोगों से पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटें मांग लीं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और AAP चीफ के इस बयान से साफ है कि पंजाब में सीट शेयरिंग को लेकर AAP और कांग्रेस में टकराव देखने को मिल सकता है।

दिल्ली में कांग्रेस और AAP के बीच फंसेगा पेंच

 

अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब की सभी 13 सीटें मांगी हैं। वहां आम आदमी पार्टी की सरकार है और दिल्ली में भी पार्टी सत्ता में है। ऐसे में राजधानी में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंस सकता है।

दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर BJP ने कब्जा जमाया था। राजधानी में AAP और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग आसान नहीं रहने वाली है। AAP चाहेगी कि सत्ता में होने के चलते उसे ज्यादा सीटें मिलें, वहीं कांग्रेस अपने पाले में ज्यादा से ज्यादा सीटें रखना चाहेगी।

MP विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आई थी सपा और कांग्रेस

 

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने कांग्रेस से 6 सीटें मांगी थीं, लेकिन कांग्रेस 4 सीटें छोड़ने को राजी थी। अखिलेश का कहना था कि यदि मुझे यह पहले पता होता कि गठबंधन विधानसभा स्तर पर नहीं है तो कांग्रेस से कभी बात ही नहीं करता। अखिलेश ने कांग्रेस को चेतावनी भी दी थी कि UP में कांग्रेस के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाएगा, जैसा हमारे साथ कांग्रेस मध्य प्रदेश में कर रही है।

 

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें, कैसे होगा सीट बंटवारा

 

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। I.N.D.I.A में RJD, JDU, कांग्रेस के साथ ही लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं। यानी 40 लोकसभा सीटों के लिए छह पार्टियां दावेदार हैं। कांग्रेस नौ सीटें मांग रही है तो वहीं लेफ्ट पार्टियां भी आधा दर्जन से ज्यादा सीटें चाहती हैं।

बिहार के CM नीतीश कुमार की कोशिश है कि कम से कम उन सभी सांसदों का टिकट सुनिश्चित हो जो 2019 में जीते थे। RJD विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने को आधार बनाकर ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर रही है।

कांग्रेस पर ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव
I.N.D.I.A में शामिल पार्टियों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा सीट बंटवारे का है। गठबंधन में शामिल ज्यादातर दल कांग्रेस पर ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजनीतिक परिस्थितियों के चलते कांग्रेस करीब 310 सीटों पर लड़ सकती है और करीब 230 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ सकती है।

कांग्रेस और BJP के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, असम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल, चंडीगढ़ और गोवा में सीधी टक्कर है। यहां पर कांग्रेस को छोड़कर I.N.D.I.A के 25 दलों में से किसी का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है। इन राज्यों में 131 सीटें ऐसी हैं, जहां पर BJP 50% से ज्यादा वोटों से जीती है। यानी इन सीटों पर भी I.N.D.I.A के बजाय कांग्रेस को जोर लगाना होगा।

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